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26 ताकि वह उसे प्रभु की सेवा में जल में स्नान करा के पवित्र कर हमारी घोषणा के साथ परमेश्वर को अर्पित कर दे। 27 इस प्रकार वह कलीसिया को एक ऐसी चमचमाती दुल्हन के रूप में स्वयं के लिए प्रस्तुत कर सकता है जो निष्कलंक हो, झुरियों से रहित हो या जिसमें ऐसी और कोई कमी न हो। बल्कि वह पवित्र हो और सर्वथा निर्दोष हो।

28 पतियों को अपनी-अपनी पत्नियों से उसी प्रकार प्रेम करना चाहिए जैसे वे स्वयं अपनी देहों से करते हैं। जो अपनी पत्नी से प्रेम करता है, वह स्वयं अपने आप से ही प्रेम करता है।

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