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17 उसने कहा, ‘वे चार बड़े पशु, चार राज्य हैं। वे चारों राज्य धरती से उभरेंगे। 18 किन्तु परमेश्वर के पवित्र लोग उस राज्य को प्राप्त करेंगे जो एक अमर राज्य होगा।’

19 “फिर मैंने यह जानना चाहा कि वह चौथा पशु क्या था और उसका क्या अभिप्राय था वह चौथा पशु सभी दूसरे पशुओं से भिन्न था। वह बहुत भयानक था। उसके दाँत लोहे के थे, और पंजे काँसे के थे। यह वह पशु था, जिसने अपने शिकार को चकनाचूर करके पूरी तरह खा लिया था, और अपने शिकार को खाने के बाद जो कुछ बचा था, उसे उसने अपने पैरों तले रौंद डाला था।

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