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33 इस धन से उस विशेष रोटी का खर्च चला करेगा जिसे याजक मन्दिर की वेदी पर अर्पित करता है। इस धन से ही अन्नबलि और होमबलि का खर्च उठाया जायेगा। सब्त नये चाँद के त्यौहार तथा दूसरी सभाओं पर इसी धन से खर्चा होगा। उन पवित्र चढ़ावों और पापबलियों पर खर्च भी इस धन से ही किया जायेगा जिनसे इस्राएल के लोग शुद्ध बनते हैं। इस धन से ही हर उस काम का खर्च चलेगा जो हमारे परमेश्वर के मन्दिर के लिए आवश्यक है।

34 “हम यानी याजक, लेवीवंशी तथा लोगों ने मिल कर यह निश्चित करने के लिए पासे फैंके कि हमारे प्रत्येक परिवार को हर वर्ष एक निश्चित समय हमारे परमेश्वर के मन्दिर में लकड़ी का उपहार कब लाना है। वह लकड़ी जिसे हमारे परमेश्वर यहोवा की वेदी पर जलाया जाता है। हमें इस काम को अवश्य करना चाहिये क्योंकि यह हमारी व्यवस्था के विधान में लिखा है।

35 “हम अपने फलों के हर पेड़ और अपनी फसल के पहले फलों को लाने का उत्तरदीयित्व भी ग्रहण करते हैं। हर वर्ष यहोवा के मन्दिर में हम उस फल को लाकर अर्पित किया करेंगे।

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