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यदि दासी का स्वामी उस दासी से अपने पुत्र का विवाह करने का वचन दे तो उससे दासी जैसा व्यवहार नहीं किया जाएगा। उसके साथ पुत्री जैसा व्यवहार करना होगा।”

10 “यदि दासी का स्वामी किसी दूसरी स्त्री से भी विवाह करे तो उसे चाहिए कि वह पहली पत्नी को कम भोजन या वस्त्र न दे और उसे चाहिए कि उन चीजों को लगातार वह उसे देता रहे जिन्हें पाने का उसे अधिकार विवाह से मिला है। 11 उस व्यक्ति को ये तीन चीजें उसके लिए करनी चाहिए। यदि वह इन्हें नहीं करता तो स्त्री स्वतन्त्र की जाएगी और इसके लिए उसे कुछ देना भी नहीं पड़ेगा। उसे उस व्यक्ति को कोई धन नहीं देना होगा।”

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