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31 जब दाखमधु लाल हो, और प्यालें में झिलमिलाती हो और धीरे—धीरे डाली जा रही हो, उसको ललचायी आँखों से मत देखो। 32 सर्प के समान वह डसती, अन्त में जहर भर देती है जैसे नाग भर देता है।

33 तेरी आँखों में विचित्र दृष्य तैरने लगेगें, तेरा मन उल्टी—सीधी बातों में उलझेगा।

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