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33 तेरी आँखों में विचित्र दृष्य तैरने लगेगें, तेरा मन उल्टी—सीधी बातों में उलझेगा। 34 तू ऐसा हो जायेगा, जैसे उफनते सागर पर सो रहा हो और जैसे मस्तूल की शिखर लेटा हो। 35 तू कहेगा, “उन्होंने मुझे मारा पर मुझे तो लगा ही नहीं। उन्होंने मुझे पीटा, पर मुझ को पता ही नहीं। मुझ से आता नहीं मुझे उठा दो और मुझे पीने को और दो।”

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