Add parallel Print Page Options

13 वह सदा ऊनी और सूती कपड़े बुनाने में व्यस्त रहती।
14 वह जलयान जो दूर देश से आता है
    वह हर कहीं से घर पर भोज्य वस्तु लाती।
15 तड़के उठाकर वह भोजन पकाती है।
    अपने परिवार का और दासियों का भाग उनको देती है।

Read full chapter