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14 वह जलयान जो दूर देश से आता है
    वह हर कहीं से घर पर भोज्य वस्तु लाती।
15 तड़के उठाकर वह भोजन पकाती है।
    अपने परिवार का और दासियों का भाग उनको देती है।
16 वह देखकर एवं परख कर खेत मोल लेती है
    जोड़े धन से वह दाख की बारी लगाती है।

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