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17-18 “बरसों तक दूर रहने के बाद मैं अपने दीन जनों के लिये उपहार ले कर भेंट चढ़ाने आया था। और जब मैं यह कर ही रहा था उन्होंने मुझे मन्दिर में पाया, तब मैं विधि-विधान पूर्वक शुद्ध था। न वहाँ कोई भीड़ थी और न कोई अशांति। 19 एशिया से आये कुछ यहूदी वहाँ मौजूद थे। यदि मेरे विरुद्ध उनके पास कुछ है तो उन्हें तेरे सामने उपस्थित हो कर मुझ पर आरोप लगाने चाहियें। 20 या ये लोग जो यहाँ हैं वे बतायें कि जब मैं यहूदी महासभा के सामने खड़ा था, तब उन्होंने मुझ में क्या खोट पाया।

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