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दुष्ट जन सदा ही कुटिल कर्म करते हैं।
    वे परमेश्वर की विवेकपूर्ण व्यवस्था और शिक्षाओं पर ध्यान नहीं देते।
    हे परमेश्वर, तेरे सभी शत्रु तेरे उपदेशों की उपेक्षा करते हैं।
वे सोचते हैं, जैसे कोई बुरी बात उनके साथ नहीं घटेगी।
    वे कहा करते हैं, “हम मौज से रहेंगे और कभी भी दण्डित नहीं होंगे।”
ऐसे दुष्ट का मुख सदा शाप देता रहता है। वे दूसरे जनों की निन्दा करते हैं
    और काम में लाने को सदैव बुरी—बुरी योजनाएँ रचते रहते हैं।

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