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20 मेरे शत्रु सचमुच शांति की योजनाएँ नहीं रचते हैं।
    वे इस देश के शांतिप्रिय लोगों के विरोध में छिपे छिपे बुरा करने का कुचक्र रच रहे हैं।
21 मेरे शत्रु मेरे लिए बुरी बातें कह रहे हैं।
    वे झूठ बोलते हुए कह रहे हैं, “अहा! हम सब जानते हैं तुम क्या कर रहे हो!”
22 हे यहोवा, तू सचमुच देखता है कि क्या कुछ घट रहा है।
    सो तू छुपा मत रह,
    मुझको मत छोड़।

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