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21 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम इस सच्चाई को समझ लो: यदि तुम्हें विश्वास हो—सन्देह तनिक भी न हो—तो तुम न केवल वह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ के साथ किया गया परन्तु तुम यदि इस पर्वत को भी आज्ञा दोगे, ‘उखड़ जा और समुद्र में जा गिर!’ तो यह भी हो जाएगा. 22 प्रार्थना में विश्वास से तुम जो भी विनती करोगे, तुम उसे प्राप्त करोगे.”

येशु के अधिकार को चुनौती

(मारक 11:27-33; लूकॉ 20:1-8)

23 येशु ने मन्दिर में प्रवेश किया और जब वह वहाँ शिक्षा दे ही रहे थे, प्रधान याजक और पुरनिए उनके पास आए और उनसे पूछा, “किस अधिकार से तुम ये सब कर रहे हो? कौन है वह, जिसने तुम्हें इसका अधिकार दिया है?”

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