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27 इस पर स्वामी को उस दास पर दया आ गयी। उसने उसका कर्ज़ा माफ करके उसे छोड़ दिया।

28 “फिर जब वह दास वहाँ से जा रहा था, तो उसे उसका एक साथी दास मिला जिसे उसे कुछ रूपये देने थे। उसने उसका गिरहबान पकड़ लिया और उसका गला घोटते हुए बोला, ‘जो तुझे मेरा देना है, लौटा दे!’

29 “इस पर उसका साथी दास उसके पैरों में गिर पड़ा और गिड़गिड़ाकर कहने लगा, ‘धीरज धर, मैं चुका दूँगा।’

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