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“इनके लिए मेरे हृदय में करुणा उमड़ रही है क्योंकि ये सब तीन दिन से लगातार मेरे साथ हैं. इनके पास अब कुछ भी भोजन सामग्री नहीं है. यदि मैं इन्हें भूखा ही घर भेज दूँ, वे मार्ग में ही मूर्च्छित हो जाएँगे. इनमें से कुछ तो अत्यन्त दूर से आए हैं.”

शिष्य उनसे पूछने लगे, “प्रभु, इस सुनसान जगह में इन सबके लिए पर्याप्त भोजन कोई कहाँ से लाएगा?”

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