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परमेश्वर कहता है, “मैं तुम लोगों को दण्ड क्यों देता रहूँ मैंने तुम्हें दण्ड दिया किन्तु तुम नहीं बदले। तुम मेरे विरुद्ध विद्रोह करते ही रहे। अब हर सिर और हर हृदय रोगी है। तुम्हारे पैर के तलुओं से लेकर सिर के ऊपरी भाग तक तुम्हारे शरीर का हर अंग घावों से भरा है। उनमें चोटें लगी हैं और फूटे हुए फोड़े हैं। तुमने अपने फोड़ों की कोई परवाह नहीं की। तुम्हारे घाव न तो साफ किये हीं गये हैं और न ही उन्हें ढका गया है।”

तुम्हारी धरती बर्बाद हो गयी है। तुम्हारे नगर आग से जल गये हैं। तुम्हारी धरती तुम्हारे शत्रुओं ने हथिया ली है। तुम्हारी भूमि ऐसे उजाड़ दी गयी है कि जैसे शत्रुओं के द्वारा उजाड़ा गया कोई प्रदेश हो।

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