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मैं कुपित नहीं होऊँगा।
यदि काँटे कँटेली मुझे वहाँ मिले तो मैं वैसे रौंदूगा
    जैसे सैनिक रौंदता चला जाता है और उनको फूँक डालूँगा।
लेकिन यदि कोई व्यक्ति मेरी शरण में आये
    और मुझसे मेल करना चाहे तो वह चला आये
    और मुझ से मेल कर ले।
आने वाले दिनों में याकूब (इस्राएल) के लोग उस पौधे के समान होंगे जिसकी जड़े उत्तम होती हैं।
    याकूब का विकास उस पनपते पौधे सा होगा जिस पर बहार आई हो।
    फिर धरती याकूब के वंशजों से भर जायेगी जैसे पेड़ों के फलों से वह भर जाती है।”

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