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10 ये धर्म के रखवाले (नबी) सभी नेत्रहीन हैं।
    उनको पता नहीं कि वे क्या कर रहे हैं।
वे उस गूँगे कुत्ते के समान हैं
    जो नहीं जानता कि कैसे भौंका जाता है वे धरती पर लोटते हैं
    और सो जाते हैं। हाय!
उनको नींद प्यारी है।
11 वे लोग ऐसे हैं जैसे भूखें कुत्ते हों।
    जिनको कभी भी तृप्ति नहीं होती।
वे ऐसे चरवाहे हैं जिनको पता तक नहीं कि वे क्या कर रहे हैं
    वे उस की अपनी उन भेड़ों से हैं जो अपने रास्ते से भटक कर कहीं खो गयी।
वे लालची हैं उनको तो बस अपना पेट भरना भाता है।
12 वे कहा करते हैं,
    “आओ थोड़ी दाखमधु ले
    और उसे पीयें यव सुरा भरपेट पियें।
हम कल भी यही करेंगे,
    कल थोड़ी और अधिक पियेंगे।”

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