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10 “‘तुम्हारी माँ एक अँगूर की बेल जैसी थी,
    जिसे पानी के पास बोया गया था।
उसके पास काफी जल था,
    इसलिये उसने अनेक शक्तिशाली बेलें उत्पन्न कीं।
11 तब उसने एक बड़ी शाखा उत्पन्न की,
    वह शाखा टहलने की छड़ी जैसी थी।
वह शाखा राजा के राजदण्ड जैसी थी।
    बेल ऊँची, और ऊँची होती गई।
इसकी अनेक शाखायें थीं और वह बादलों को छूने लगी।
12 किन्तु बेल को जड़ से उखाड़ दिया गया,
    और उसे भूमि पर फेंक दिया गया।
गर्म पुरवाई हवा चली और उसके फलों को सुखा दिया
    शक्तिशाली शाखायें टूट गईं, और उन्हें आग में फेंक दिया गया।

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