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“‘सिंह माता को आशा थी कि सिंह—शावक प्रमुख बनेगा।
    किन्तु अब उसकी सारी आशायें लुप्त हो गई।
इसलिये अपने शावकों में से उसने एक अन्य को लिया।
    उसे उसने सिंह होने का प्रशिक्षण दिया।
वह युवा सिंहों के साथ शिकार को निकला।
    वह एक बलवान युवा सिंह बना।
उसने अपने भोजन को पकड़ना सीखा।
    उसने एक आदमी को मारा और उसे खाया।
उसने महलों पर आक्रमण किया।
    उसने नगरों को नष्ट किया।
उस देश का हर एक व्यक्ति तब भय से अवाक होता था।
    जब वह उसका गरजना सुनता था।

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