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26 मैं उनके साथ एक शान्ति—सन्धि करूँगा। यह सन्धि सदा बनी रहेगी। मैं उनको उनका देश देना स्वीकार करता हूँ। मैं उन्हें बहुसंख्यक लोग बनाना स्वीकार करता हूँ। मैं अपना पवित्र स्थान वहाँ उनके साथ सदा के लिये रखना स्वीकार करता हूँ। 27 मेरा पवित्र तम्बू वहाँ उनके बीच रहेगा। हाँ, मैं उनका परमेश्वर और वे मेरे लोग होंगे। 28 तब अन्य राष्ट्र समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ और वे जानेंगे कि मैं इस्राएल को, उनके बीच सदा के लिये अपना पवित्र स्थान रखकर, अपने विशेष लोग बना रहा हूँ।’”

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