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यिर्मयाह की चौथी शिकायत

18 तब यिर्मयाह के शत्रुओं ने कहा, “आओ, हम यिर्मयाह के विरुद्ध षडयन्त्र रचे। निश्चय ही, याजक द्वारा दी गई व्यवस्था की शिक्षा मिटेगी नहीं और बुद्धिमान लोगों की सलाह अब भी हम लोगों को मिलेगी। हम लोगों को नबियों के सन्देश भी मिलेंगे। अत: हम लोग उसके बारे में झूठ बोलें। उससे वह बरबाद होगा। वह जो कुछ कहता है, हम किसी पर ध्यान नहीं देंगे।”

19 हे यहोवा, मेरी सुन और मेरे विरोधियों की सुन,
    तब तय कर कि कौन ठीक है
20 मैंने यहूदा के लोगों के लिये अच्छा किया है।
    किन्तु अब वे उल्टे बदले में बुराई दे रहे हैं।
वे मुझे फँसा रहे हैं।
    वे मुझे धोखा देकर फँसाने और मार डालने का प्रयत्न कर रहे हैं।

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