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24 यहूदा के लोग कभी अपने से नहीं कहते, ‘हमें अपने परमेश्वर यहोवा से डरना
    और उसका सम्मान करना चाहिए।
    वह हमे ठीक समय पर पतझड़ और बसन्त की वर्षा देता है।
    वे यह निश्चित करता है कि हम ठीक समय पर फसल काट सकें।’
25 यहूदा के लोगों, तुमने अपराध किया है। अत: वर्षा और पकी फसल नहीं आई।
    तुम्हारे पापों ने तुम्हें यहोवा की उन अच्छी चीज़ों का भोग नहीं करने दिया है।
26 मेरे लोगों के बीच पापी लोग हैं।
    वे पापी लोग पक्षियों को फँसाने के लिये जाल बनाने वालों के समान हैं।
वे लोग अपना जाल बिछाते हैं, किन्तु वे पक्षी के बदले मनुष्यों को फँसाते हैं।

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