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17 मैं जानता हूँ कि तुम देख रहे हो कि वे यहूदा के नगर में क्या कर रहे हैं तुम देख सकते हो कि वे यरूशलेम नगर की सड़कों पर क्या कर रहे हैं 18 यहूदा के लोग जो कर रहे हैं वह यह है: बच्चे लकड़ियाँ इकट्ठी करते हैं। पिता लोग उस लकड़ी का उपयोग आग जलाने में करते हैं। स्त्रियाँ आटा गूँधती हैं और स्वर्ग की रानी की भेंट के लिये रोटियाँ बनाती हैं। यहूदा के वे लोग अन्य देवताओं की पूजा के लिये पेय भेंट चढ़ाते हैं। वे मुझे क्रोधित करने के लिये यह करते हैं। 19 किन्तु मैं वह नहीं हूँ जिसे यहूदा के लोग सचमुच चोट पहुँचा रहे हैं।” यह सन्देश यहोवा का है। “वे केवल अपने को ही चोट पहुँचा रहे हैं। वे अपने को लज्जा का पात्र बना रहे हैं।”

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