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16 फिर उसने उन्हें एक दृष्टान्त कथा सुनाई: “किसी धनी व्यक्ति की धरती पर भरपूर उपज हुई। 17 वह अपने मन में सोचते हुए कहने लगा, ‘मैं क्या करूँ, मेरे पास फ़सल को रखने के लिये स्थान तो है नहीं।’

18 “फिर उसने कहा, ‘ठीक है मैं यह करूँगा कि अपने अनाज के कोठों को गिरा कर बड़े कोठे बनवाऊँगा और अपने समूचे अनाज को और सामान को वहाँ रख छोड़ूँगा।

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