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25 “किन्तु इब्राहीम ने कहा, ‘हे मेरे पुत्र, याद रख, तूने तेरे जीवन काल में अपनी अच्छी वस्तुएँ पा लीं जबकि लाज़र को बुरी वस्तुएँ ही मिलीं। सो अब वह यहाँ आनन्द भोग रहा है और तू यातना। 26 और इस सब कुछ के अतिरिक्त हमारे और तुम्हारे बीच एक बड़ी खाई डाल दी गयी है ताकि यहाँ से यदि कोई तेरे पास जाना चाहे, वह जा न सके और वहाँ से कोई यहाँ आ न सके।’

27 “उस सेठ ने कहा, ‘तो फिर हे पिता, मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि तू लाज़र को मेरे पिता के घर भेज दे

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