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23 जब वे नाव चला रहे थे, यीशु सो गया। झील पर आँधी-तूफान उतर आया। उनकी नाव में पानी भरने लगा। वे ख़तरे में पड़ गये। 24 सो वे उसके पास आये और उसे जगाकर कहने लगे, “स्वामी! स्वामी! हम डूब रहे हैं।”

फिर वह खड़ा हुआ और उसने आँधी तथा लहरों को डाँटा। वे थम गयीं और वहाँ शान्ति छा गयी। 25 फिर उसने उनसे पूछा, “कहाँ गया तुम्हारा विश्वास?”

किन्तु वे डरे हुए थे और अचरज में पड़ें थे। वे आपस में बोले, “आखिर यह है कौन जो हवा और पानी दोनों को आज्ञा देता है और वे उसे मानते हैं?”

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