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52 उसने अपने दूतों को पहले ही भेज दिया था। वे चल पड़े और उसके लिये तैयारी करने को एक सामरी गाँव में पहुँचे। 53 किन्तु सामरियों ने वहाँ उसका स्वागत सत्कार नहीं किया क्योंकि वह यरूशलेम को जा रहा था। 54 जब उसके शिष्यों याकूब और यूहन्ना ने यह देखा तो वे बोले, “प्रभु क्या तू चाहता है कि हम आदेश दें कि आकाश से अग्नि बरसे और उन्हें भस्म कर दे?”[a]

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Footnotes

  1. 9:54 कुछ यूनानी प्रतियों में यह भाग जोड़ा गया है: “जैसा कि एलिय्याह ने किया था?”