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27 जब मसीह येशु तट पर उतरे, उनकी भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हो गई, जिसमें अनेक प्रेत समाये हुए थे. प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके पास आ गया. यह व्यक्ति लम्बे समय से कपड़े न पहनता था. वह मकान में नहीं परन्तु क़ब्रों की गुफ़ाओं में रहता था. 28 मसीह येशु पर दृष्टि पड़ते ही वह चिल्लाता हुआ उनके चरणों में जा गिरा और अत्यन्त ऊँचे शब्द में चिल्लाया, “येशु! परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र! मेरा और आपका एक दूसरे से क्या लेना-देना? आप से मेरी विनती है कि आप मुझे कष्ट न दें,” 29 क्योंकि मसीह येशु दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दे चुके थे. समय-समय पर प्रेत उस व्यक्ति पर प्रबल हो जाया करता था तथा लोग उसे सांकलों और बेड़ियों में बान्ध कर पहरे में रखते थे, फिर भी वह प्रेत बेड़ियाँ तोड़ उसे सुनसान स्थान में ले जाता था.

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