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खून की हानि से उत्पन्न अशुद्धि से शुद्ध होने के तैंतीस दिन बाद तक यह होगा। उस स्त्री को वह कुछ नहीं छूना चाहिए जो पवित्र है। उसे पवित्र स्थान में तब तक नहीं जाना चाहिए जब तक उसके पवित्र होने का समय पूरा न हो जाए। किन्तु यदि स्त्री लड़की को जन्म देती है तो माँ रक्त स्राव के मासिक धर्म के समय की तरह दो स्पताह तक शुद्ध नहीं होगी। वह अपने खून की हानि के छियासठ दिन बाद शुद्ध हो जाती है।

“नई माँ जिसने अभी लड़की या लड़के को जन्म दिया है, ऐसी माँ के शुद्ध होने का विशेष समय पूरा होने पर उसे मिलापवाले तम्बू में विशेष भेंटें लानी चाहिए। उसे उन भेंटों को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक को देना चाहिए। उसे एक वर्ष का मेमना होमबलि के लिए और पापबलि के हेतु एक फ़ाख्ता या कबूतर का बच्चा लाना चाहिए।

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