Add parallel Print Page Options

37 पूछेगा वह तब,
    ‘लोगों के देवता कहाँ हैं?
    वह है चट्टान कहाँ, जिसकी शरण गए वे?
38 लोगों के ये देव, बलि की चर्बी खाते थे,
    और पीते थे मदिरा, मदिरा की भेंट की।
अतः उठें ये देव, मदद करें तेरी करें
    तुम्हारी ये रक्षा!
39 देखो, अब केवल मैं ही परमेश्वर हूँ।
    नहीं अन्य कोई भी परमेश्वर
मैं ही निश्चय करता लोगों को
    जीवित रखूँ या मारूँ।
मैं लोगों को दे सकता हूँ चोट
    और ठीक भी रख सकत हूँ।
और न बचा सकता कोई किसी को मेरी शक्ति के बाहर।

Read full chapter