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25 “इसलिए मैं चालीस दिन और चालीस रात यहोवा के सामने झुका रहा। क्यों? क्योंकि यहोवा ने कहा कि वह तुम्हें नष्ट करेगा। 26 मैंने यहोवा से प्रार्थना की। मैंने कहाः यहोवा मेरे स्वामी, अपने लोगों को नष्ट न कर। वे तेरे अपने हैं। तूने अपनी बडी शक्ति और दृढ़ता से उन्हें स्वतन्त्र किया और मिस्र से लाया। 27 तू अपने सेवक इब्राहीम, इसहाक और याकूब को दी गई अपनी प्रतिज्ञा को याद कर। तू यह भूल जा कि ये लोग कितने हठीले हैं। तू उनके बुरे ढंग और पाप को न देख।

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