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क्या बुद्धि से आनन्द मिलता है?

12 मैं, जो कि एक उपदेशक हूँ, यरूशलेम में इस्राएल का राजा हुआ करता था और आज भी हूँ। 13 मैंने निश्चय किया कि मैं इस जीवन में जो कुछ होता है उसे जानने के लिये अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए उसका अध्ययन करूँ। मैंने जाना कि परमेश्वर ने हमें करने के लिये जो यह काम दिया है वह बहुत कठिन है। 14 इस पृथ्वी पर की सभी वस्तुओं पर मैंने दृष्टि डाली और देखा कि यह सब कुछ व्यर्थ है। यह वैसा ही है जैसा वायु को पकड़ना।

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