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विधवाओं सम्बन्धी निर्देश

असमर्थ विधवाओं का सम्मान करो. परन्तु यदि किसी विधवा के पुत्र-पौत्र हों तो वे सबसे पहिले अपने ही परिवार के प्रति अपने कर्तव्य-पालन द्वारा परमेश्वर के भक्त होना सीखें तथा अपने माता-पिता के उपकारों का फल दें क्योंकि परमेश्वर को यही भाता है. वह, जो वास्तव में विधवा है तथा जो अकेली रह गई है, परमेश्वर पर ही आश्रित रहती है और दिन-रात परमेश्वर से विनती तथा प्रार्थना करने में लवलीन रहती है.

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