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परन्तु सन्तोष भरी परमेश्वर की भक्ति स्वयं में एक अद्भुत धन है क्योंकि हम इस संसार में कुछ भी लेकर नहीं आए हैं, इसलिए हम यहाँ से कुछ ले जा भी न सकेंगे. हम इसी में सन्तुष्ट रहेंगे कि हमारे पास भोजन तथा वस्त्र हैं.

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