Add parallel Print Page Options

15 तब मीकायाह राजा अहाब के सामने खड़ा हुआ। राजा ने उससे पुछा, “मीकायाह, क्या मुझे और राजा यहोशापात को अपनी सेनायें एक कर लेनी चाहिये और क्या हमें अराम की सेना से रामोत में युद्ध करने के लिये अभी कुछ करना चाहिये या नहीं?”

मीकायाह ने उत्तर दिया, “हाँ! तुम्हें जाना चाहिये और उनसे अभी युद्ध करना चाहिये। यहोवा तुम्हें विजय देगा।”

16 किन्तु अहाब ने पूछा, “तुम यहोवा की शक्ति से नहीं बता रहे हो। तुम अपनी निजी बात कह रहे हो। अत: मुझसे सत्य कहो। कितनी बार मुझे तुमसे कहना पड़ेगा मुझसे वह कहो जो यहोवा कहता है।”

17 अत: मीकायाह ने उत्तर दिया, “मैं जो कुछ होगा, देख सकता हुँ। इस्राएल की सेना पहाड़ियों में बिखर जायेगी। वे उन भेड़ों की तरह होंगी जिनका कोई भी संचालक न हो। यही यहोवा कहता है, ‘इन व्यक्तियों का दिशा निर्देशक कोई नहीं है। उन्हें घर जाना चाहिये और युद्ध नहीं करना चाहिये।’”

Read full chapter