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15 सुलैमान ने अस्सी हजार व्यक्तियों को भी पहाड़ी प्रदेश में काम करने के लिये विवश किया। इन मनुष्यों का काम चट्टानों को काटना था और वहाँ सत्तर हजार व्यक्ति पत्थरों को ढोने वाले थे 16 और तीन हजार तीन सौ व्यक्ति थे जो काम करने वाले व्यक्तियों के ऊपर अधिकारी थे। 17 राजा सुलैमान ने, मन्दिर की नींव के लिये विशाल और कीमती चट्टानों को काटने का आदेश दिया। ये पत्थर सावधानी से काटे गये। 18 तब सुलैमान के कारीगरों और हीराम के कारीगरों तथा गबाली के व्यक्तियों ने पत्थरों पर नक्काशी का काम किया। उन्होंने मन्दिर को बनाने के लिये पत्थरों और लट्ठों को तैयार किया।

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