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राजा अर्तक्षत्र का नहेमायाह को यरूशलेम भेजना

राजा अर्तक्षत्र के बीसवें वर्ष के नीसान नाम के महीने[a] में राजा के लिये थोड़ी दाखमधु लाई गयी। मैंने उस दाखमधु को लिया और राजा को दे दिया। मैं जब पहले राजा के साथ था तो दु:खी नहीं हुआ था किन्तु अब मैं उदास था। इस पर राजा ने मुझसे पूछा, “क्या तू बीमार है? तू उदास क्यों दिखाई दे रहा है? मेरा विचार है तेरा मन दु:ख से भरा है।”

इससे मैं बहुत अधिक डर गया। किन्तु यद्यपि मैं डर गया था किन्तु फिर भी मैंने राजा से कहा, “राजा जीवित रहें! मैं इसलिए उदास हूँ कि वह नगर जिसमें मेरे पूर्वज दफनाये गये थे उजाड़पड़ा है तथा उस नगर के प्रवेश् द्वार आग से भस्म हो गये हैं।”

फिर राजा ने मुझसे कहा, “इसके लिये तू मुझसे क्या करवाना चाहता है?”

इससे पहले कि मैं उत्तर देता, मैंने स्वर्ग के परमेश्वर से विनती की। फिर मैंने राजा को उत्तर देते हुए कहा, “यदि यह राजा को भाये और यदि मैं राजा के प्रति सच्चा रहा हूँ तो यहूदा के नगर यरूशलेम में मुझे भेज दिया जाये जहाँ मेरे पूर्वज दफनाये हुए हैं। मैं वहाँ जाकर उस नगर को फिर से बसाना चाहता हूँ।”

रानी राजा के बराबर बैठी हुई थी, सो राजा और रानी ने मुझसे पूछा, “तेरी इस यात्रा में कितने दिन लगेंगे? यहाँ तू कब तक लौट आयेगा?”

राजा मुझे भेजने के लिए राजी हो गया। सो मैंने उसे एक निश्चित समय दे दिया। मैंने राजा से यह भी कहा, “यदि राजा को मेरे लिए कुछ करने में प्रसन्नता हो तो मुझे यह माँगने की अनुमति दी जाये। कृपा करके परात नदी के पश्चिमी क्षेत्र के राज्यपालों को दिखाने के लिये कुछ पत्र दिये जायें। ये पत्र मुझे इसलिए चाहिए ताकि वे राज्यपाल यहूदा जाते हुए मुझे अपने—अपने इलाकों से सुरक्षापूर्वक निकलने दें। मुझे द्वारों, दीवारों, मन्दिरों के चारों ओर के प्राचीरों और अपने घर के लिये लकड़ी की भी आवश्यकता है। इसलिए मुझे आपसे आसाप के नाम भी एक पत्र चाहिए, आसाप आपके जंगलात का हाकिम है।”

सो राजा ने मुझे पत्र और वह हर वस्तु दे दी जो मैंने मांगी थी। क्योंकि परमेश्वर मेरे प्रति दयालु था इसलिए राजा ने यह सब कर दिया था।

इस तरह मैं परात नदी के पश्चिमी क्षेत्र के राज्यपालों के पास गया और उन्हें राजा के द्वारा दिये गये पत्र दिखाये। राजा ने सेना के अधिकारी और घुड़सवार सैनिक भी मेरे साथ कर दिये थे। 10 सम्बल्लत और तोबियाह नाम के दो व्यक्तियों ने मेरे कामों के बारे में सुना। वे यह सुनकर बहुत बेचैन और क्रोधित हुए कि कोई इस्राएल के लोगों की मदद के लिये आया है। सम्बल्लत होरोन का निवासी था और तोबियाह अम्मोनी का अधिकारी था।

नहेमायाह द्वारा यरूशलेम के परकोटे का निरीक्षण

11-12 मैं यरूशलेम जा पहुँचा और वहाँ तीन दिन तक ठहरा और फिर कुछ लोगों को साथ लेकर मैं रात को बाहर निकल पड़ा। परमेश्वर ने यरूशलेम के लिये कुछ करने की जो बात मेरे मन में बसा दी थी उसके बारे में मैंने किसी को कुछ भी नहीं बताया था। उस घोड़े के सिवा, जिस पर मैं सवार था, मेरे साथ और कोई घोड़े नहीं थे। 13 अभी जब अंधेरा ही था तो मैं तराई द्वार से होकर गुज़रा। अजगर के कुएँ की तरफ़ मैंने अपना घोड़ा मोड़ दिया तथा मैं उस द्वार पर भी घोड़े को ले गया, जो कूड़ा फाटक की ओर खुलता था। मैं यरूशलेम के उस परकोटे का निरीक्षण कर रहा था जो टूटकर ढह चुका था। मैं उन द्वारों को भी देख रहा था जो जल कर राख हो चुके थे। 14 इसके बाद मैं सोते के फाटक की ओर अपने घोड़े को ले गया और फिर राजसरोवर के पास जा निकला। किन्तु जब मैं निकट पहुँचा तो मैंने देखा कि वहाँ मेरे घोड़े के निकलने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। 15 इसलिए अन्धेरे में ही मैं परकोटे का निरीक्षण करते हुए घाटी की ओर ऊपर निकल गया और अन्त में मैं लौट पड़ा और तराई के फाटक से होता हुआ भीतर आ गया। 16 उन अधिकारियों और इस्राएल के महत्वपूर्ण लोगों को यह पता नहीं चला कि मैं कहाँ गया था। वे यह नहीं जान पाये कि मैं क्या कर रहा था। मैंने यहूदियों, याजकों, राजा के परिवार, हाकिमों अथवा जिन लोगों को वहाँ काम करना था, अभी कुछ भी नहीं बताया था।

17 इसके बाद मैंने उन सभी लोगों से कहा, “यहाँ हम जिन विपत्तियों में पड़े हैं, तुम उन्हें देख सकते हो। यरूशलेम खण्डहरों का ढेर बना हुआ है तथा इसके द्वार आग से जल चुके हैं। आओ, हम यरूशलेम के परकोटे का फिर से निर्माण करें। इससे हमें भविष्य में फिर कभी लज्जित नहीं रहना पड़ेगा।”

18 मैंने उन लोगों को यह भी कहा कि मुझ पर परमेश्वर की कृपा है। राजा ने मुझसे जो कुछ कहा था, उन्हें मैंने वे बातें भी बतायीं। इस पर उन लोगों ने उत्तर देते हुए कहा, “आओ, अब हम काम करना शुरु करें!” सो उन्होंने उस उत्तम कार्य को करना आरम्भ कर दिया। 19 किन्तु होरोन के सम्बल्लत अम्मोनी के अधिकारी तोबियाह और अरब के गेशेम ने जब यह सुना कि फिर से निर्माण कर रहे हैं तो उन्होंने बहुत भद्दे ढंग से हमारा मजाक उड़ाया और हमारा अपमान किया। वे बोले, “यह तुम क्या कर रहे हो? क्या तुम राजा के विरोध में हो रहे हो?”

20 किन्तु मैंने तो उन लोगों से बस इतना ही कहा: “हमें सफल होने में स्वर्ग का परमेश्वर हमारी सहायता करेगा। हम परमेश्वर के सेवक हैं औऱ हम इस नगर का फिर से निर्माण करेंगे। इस काम में तुम हमारी मदद नहीं कर सकते। यहाँ यरूशलेम में तुम्हारा कोई भी पूर्वज पहले कभी भी नहीं रहा। इस धरती का कोई भी भाग तुम्हारा नहीं है। इस स्थान में बने रहने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं है!”

परकोटा बनाने वाले

वहाँ के महायाजक का नाम था एल्याशीब। एल्याशीब और उसके साथी (याजक) निर्माण का काम करने के लिये गये और उन्होंने भेड़ द्वार का निर्माण किया। उन्होंने प्रार्थनाएँ की और यहोवा के लिये उस द्वार को पवित्र बनाया। उन्होंने द्वार के दऱवाजों को दीवार में लगाया। उन याजकों ने यरूशलेम के परकोटे पर काम करते हुए हम्मेआ के गुम्बद तथा हननेल के गुम्बद तक उसका निर्माण किया। उन्होंने प्रार्थनाएँ कीं और यहोवा के लिये अपने कार्य को पवित्र बनाया।

याजकों के द्वारा बनाएँ गए परकोटे से आगे के परकोटे को यरीहो के लोगों ने बनाया और फिर यरीहो के लोगों द्वारा बनाये गये परकोटे के आगे के परकोटे का निर्माण इम्री के पुत्र जक्कूर ने किया।

फिर हस्सना के पुत्रों ने मछली दरवाजे का निर्माण किया। उन्होंने वहाँ यथास्थान कड़ियाँ बैठायीं। उस भवन में उन्होंने दरवाजे लगाये और फिर दरवाजों पर ताले लगाये और मेखें जड़ीं।

उरियाह के पुत्र मरेमोत ने परकोटे के आगे के भाग की मरम्मत की। (उरियाह हक्कोस का पुत्र था।)

मशूल्लाम, जो बरेक्याह का पुत्र था, उसने परकोटे के उससे आगे के भाग की मरम्मत की। (बरेक्याह मशेजबेल का पुत्र था।)

बाना के पुत्र सादोक ने इससे आगे की दीवार को मज़बूत किया।

दीवार के आगे का भाग तकोई लोगों द्वारा सुदृढ़ किया गया किन्तु तकोई के मुखियाओं ने अपने स्वामी नहेमायाह की देख रेख में काम करने से मना कर दिया।

पुराने दरवाज़े की मरम्मत का काम योयादा और मशूल्लाम ने किया। योयादा पासेह का पुत्र था और मशूल्लाम बसोदयाह का पुत्र था। उन्होंने कड़ियों को यथास्थान बैठाया। उन्होंने कब्जों पर जोड़ियाँ चढ़ाई और फिर दरवाज़े पर ताले लगाये तथा मेखें जड़ीं।

इसके आगे के परकोटे की दीवार की मरम्मत गिबोनी लोगों और मिस्पा के रहने वालों ने बनाई। गिबोन की ओर से मलत्याह और मेरोनोती की ओर से यादोन ने काम किया। गिबोन और मेरोनोती वे प्रदेश हैं जिनका शासन इफ्रात नदी के पश्चिमी क्षेत्र के राज्यपालों द्वारा किया जाता था।

परकोटे की दीवार के अगले भाग की मरम्मत हर्हयाह के पुत्र उजीएल ने की। उजीएल सुनार हुआ करता था। हनन्याह सुगन्ध बनाने का काम करता था। इन लोगों ने यरूशलेम के परकोटे की चौड़ी दीवार तक मरम्मत करके उसका निर्माण किया।

इससे आगे की दीवार की मरम्मत हूर के पुत्र रपायाह ने की। रपायाह आधे यरूशलेम का प्रशासक था।

10 परकोटे की दीवार का दूसरा हिस्सा हरुपम के पुत्र यदायाह ने बनाया। यदायाह ने अपने घर के ठीक बाद की दीवार की मरम्मत की। इसके बाद के हिस्से की मरम्मत का काम हशब्नयाह के पुत्र हत्तूश ने किया। 11 हारीम के पुत्र मल्कियाह तथा पहत्मोआब के पुत्र हश्शूब ने परकोटे के अगले एक दूसरे हिस्से की मरम्मत की। इन ही लोगों ने भट्टों की मीनार की मरम्मत भी की।

12 शल्लूम जो हल्लोहेश का पुत्र था, उसने परकोटे की दीवार के अगले हिस्से को बनाया। इस काम में उसकी पुत्रियों ने भी उसकी मदद की। शल्लूम यरूशलेम के दूसरे आधे हिस्से का राज्यपाल था।

13 हानून नाम के एक व्यक्ति तथा जानोह नगर के निवासियों ने तराई फाटक की मरम्मत की। उन ही लोगों ने तराई फाटक का निर्माण किया। उन्होंने कब्जों पर जोड़ियाँ चढ़ाईं और फिर दरवाजों पर ताले लगाये तथा मेखें जड़ीं। उन्होंने पाँच सौ गज लम्बी परकोटे की दीवार की मरम्मत की। उन्होंने कुरड़ी—दरवाजे तक इस दीवार का निर्माण किया।

14 रेकाब के पुत्र मल्कियाह ने कुरड़ी—दरवाज़ें की मरम्मत की। मल्कियाह बेथक्केरेम ज़िले का हाकिम था। उसने दरवाजों की मरम्मत की, कब्जों पर जोड़ियाँ चढ़ाईं और फिर दरवाज़ों पर ताले लगवा कर मेखें जड़ीं।

15 कोल्होज़े के पुत्र शल्लूम ने स्रोत द्वार की मरम्मत की। शल्लूम मिस्पा कस्बे का राज्यपाल था उसने उस दरवाजें को लगवाया और उसके ऊपर एक छत डलवाई। कब्जों पर जोड़ियाँ चढ़ाईं और फिर दरवाज़ों पर ताले लगवाकर मेखें जड़ीं। शल्लूम ने शेलह के तालाब की दीवार की मरम्मत भी करवाई। यह तालाब राजा के बगीचे के पास ही था। दाऊद की नगरी को उतरने वाली सीढ़ियों तक समूची दीवार की भी उसने मरम्मत करवाई।

16 अजबूक के पुत्र नहेमायाह ने अगले हिस्से की मरम्मत करवाई। यह नहेमायाह बेतसूर नाम के ज़िले के आधे हिस्से का राज्यपाल था। उसने उस स्थान तक भी मरम्मत करवाई जो दाऊद के कब्रिस्तान के सामने पड़ता था। आदमियों के बनाये हुए तालाब तक, तथा वीरों के निवास नामक स्थान तक भी उसने मरम्मत का यह कार्य करवाया।

17 लेवीवंश परिवार सूह के लोगों ने परकोटे के अगले हिस्से की मरम्मत की। लेवीवंश के इन लोगों ने बानी के पुत्र रहूम की देखरेख में काम किया। अगले हिस्से की मरम्मत हशब्याह ने की। हशब्याह कीला नाम कस्बे के आधे भाग का प्रशासक था। उसने अपने ज़िले की ओर से मरम्मत का यह काम करवाया।

18 अगले हिस्से की मरम्मत उन के भाइयों ने की। उन्होंने हेनादाद के पुत्र बव्वै की अधीनता में काम किया। बव्वै कीला कस्बे के आधे हिस्से का प्रशासक था।

19 इससे अगले हिस्से की मरम्मत का काम येशु के पुत्र एज़ेर ने किया। एज़ेर मिस्पा का राज्यपाल था। उसने शस्त्रागार से लेकर परकोटे की दीवार के कोने तक मरम्मत का काम किया। 20 इसके बाद बारुक के पुत्र जब्बै ने उससे अगले हिस्से की मरम्मत की। उसने उस कोने से लेकर एल्याशीब के घर के द्वार तक दीवार के इस हिस्से की बड़ी मेहनत से मरम्मत की। एल्याशीब महायाजक था। 21 उरियाह के पुत्र मरेमोत ने एल्याशीब के घर के दरवाज़े से लेकर उसके घर के अंत तक परकोटे के अगले हिस्से की मरम्मत की। उरियाह, हक्कोस का पुत्र था। 22 इसके बाद की दीवार के हिस्से की मरम्मत का काम उन याजकों द्वारा किया गया जो उस इलाके में रहते थे।

23 फिर बिन्यामीन और हश्शूब ने अपने घरों के आगे के नगर परकोटे के हिस्सों की मरम्मत की। उसके घर के बाद की दीवार अनन्याह के पोते और मासेयाह के पुत्र अजर्याह ने बनवाई।

24 फिर हेनादाद के पुत्र बिन्नूई ने अजर्याह के घर से लेकर दीवार के मोड़ और फिर कोने तक के हिस्से की मरम्मत की।

25 इसके बाद ऊजै के पुत्र पालाल ने परकोटे के उस मोड़ से लेकर बुर्ज तक की दीवार की मरम्मत के लिये काम किया। यह मीनार राजा के ऊपरी भवन पर थी। यह राजा के पहरेदारों के आँगन के पास ही था। पालाल के बाद परोश के पुत्र पदायाह ने इस काम को अपने हाथों में लिया।

26 मन्दिर के जो सेवक ओपेल पहाड़ी पर रहा करते थे उन्होंने परकोटे के अगले हिस्से की जल—द्वार के पूर्वी ओर तथा उसके निकट के गुम्बद तक की मरम्मत का काम किया।

27 विशाल गुम्बद से लेकर ओपेल की पहाड़ी से लगी दीवार तक के समूचे भाग की मरम्मत का काम तकोई के लोगों ने पूरा किया।

28 अश्व—द्वार के ऊपरी हिस्से की मरम्मत का काम याजकों ने किया। हर याजक ने अपने घर के आगे की दीवार की मरम्मत की। 29 इम्मेर के पुत्र सादोक ने अपने घर के सामने के हिस्से की मरम्म्त की। फिर उससे अगले हिस्से की मरम्मत का काम शकन्याह के पुत्र समयाह ने पूरा किया समयाह पूर्वी फाटक का द्वारपाल था।

30 दीवार के बचे हुए हिस्से की मरम्मत का काम शेलेम्याह के पुत्र हनन्याह और सालाप के पुत्र हानून ने पूरा किया। (हानून सालाप का छठां पुत्र था।)

बेरेक्याह के पुत्र मशुल्लाम ने अपने घर के आगे की दीवार की मरम्मत की। 31 फिर मल्कियाह ने मन्दिर के सेवकों के घरों और व्यापारियों के घरों तक की दीवार की मरम्मत की। यानी निरीक्षण द्वार के सामने से दीवार के कोने के ऊपरी कक्ष तक के हिस्से की मरम्मत मल्कियाह ने की। 32 मल्कियाह एक सुनार हुआ करता था। कोने के ऊपरी कमरे से लेकर भेड़—द्वार तक की बीच की दीवार का समूचा हिस्स सुनारों और व्यापारियों ने ठीक किया।

सम्बल्लत और तोबियाह

जब सम्बल्लत ने सुना कि हम लोग यरूशलेम के नगर परकोटे का पुन: निर्माण कर रहे हैं, तो वह बहुत क्रोधित और व्याकुल हो उठा। वह यहूदियों की हँसी उड़ाने लगा। सम्बल्लत ने अपने मित्रों और सेना से शोमरोन में इस विषय को लेकर बातचीत की। उसने कहा, “ये शक्तिहीन यहूदी क्या कर रहे हैं? उनका विचार क्या है? क्या वे अपनी बलियाँ चढ़ा पायेंगे? शायद वे ऐसा सोचते हैं कि वे एक दिन में ही इस निर्माण कार्य को पूरा कर लेंगे। धूल मिट्टी के इस ढेर में से वे पत्थरों को उठा कर फिर से नया जीवन नहीं दे पायेंगे। ये तो अब राख और मिट्टी के ढेर बन चुके हैं!”

अम्मोन का निवासी तोबियाह सम्बल्लत के साथ था। तोबियाह बोला, “ये यहूदी जो निर्माण कर रहे उसके बारे में ये क्या सोचते हैं? यदि कोई छोटी सी लोमड़ी भी उस दीवार पर चढ़ जाये तो उनकी वह पत्थरों की दीवार ढह जायेगी!”

तब नहेमायाह ने परमेश्वर से प्रार्थना की और वह बोला, “हे हमारे परमेश्वर, हमारी विनती सुन। वे लोग हमसे घृणा करते हैं। सम्बल्लत और तोबियाह हमारा अपमान कर रहे हैं। इन बुरी बातों को तू उन ही के साथ घटा दे। उन्हें उन व्यक्तियों के समान लज्जित कर जिन्हें बन्दी के रूप में ले जाया जा रहा हो। उनके उस अपराध को दूर मत कर अथवा उनके उन पापों को क्षमा मत कर जिन्हें उन्होंने तेरे देखते किया है। उन्होंने परकोटे को बनाने वालों का अपमान किया है तथा उनकी हिम्मत तोड़ी है।”

हमने यरूशलेम के परकोटे का पुन: निर्माण किया है। हमने नगर के चारों ओर दीवार बनाई है। किन्तु उसे जितनी ऊँची होनी चाहिये थी, वह उससे आधी ही रह गयी है। हम यह इसलिए कर पाये कि हमारे लोगों ने अपने समूचे मन से इस कार्य को किया।

किन्तु सम्बल्लत, तोबियाह, अरब के लोगों, अम्मोन के निवासियों और अशदोद के रहने वाले लोगों को उस समय बहुत क्रोध आया। जब उन्होंने यह सुना कि यरूशलेम के परकोटे पर लोग निरन्तर काम कर रहे हैं। उन्होंने सुना था कि लोग उस दीवार की दरारों को भर रहे हैं। सो वे सभी लोग आपस में एकत्र हुए और उन्होंने यरूशलेम के विरुद्ध योजनाएँ बनाईं। उन्होंने यरूशलेम के विरुद्ध गड़बड़ी पैदा करने का षड़यन्त्र रचा। उन्होंने यह योजना भी बनाई कि नगर के ऊपर चढ़ाई करके युद्ध किया जाये। किन्तु हमने अपने परमेश्वर से बिनती की और नगर परकोटे की दीवारों पर हमने पहरेदार बैठा दिये ताकि वे वहाँ दिन—रात रखवाली करें जिससे हम उन लोगों का मुकाबला करने के लिए तुरन्त तैयार रहें।

10 उधर उसी समय यहूदा के लोगों ने कहा, “कारीगर लोग थकते जा रहे हैं। वहाँ बहूत सी धूल—मिट्टी और कूड़ा करकट पड़ा है। सो हम अब परकोटे पर निर्माण कार्य करते नहीं रह सकते 11 और हमारे शत्रु कह रहे हैं, ‘इससे पहले कि यहूदियों को इसका पता चले अथवा वे हमें देख लें, हम ठीक उनके बीच पहुँच जायेंगे। हम उन्हें मार डालेंगे जिससे उनका काम रुक जायेगा।’”

12 इसके बाद हमारे शत्रुओं के बीच रह रहे यहूदी हमारे पास आये और उन्होंने हमसे दस बार यह कहा, “हमारे चारों तरफ़ हमारे शत्रु हैं, हम जिधर भी मुड़ें, हर कहीं हमारे शत्रु फैले हैं।”

13 सो मैंने परकोटे की दीवार के साथ—साथ जो स्थान सबसे नीचे पड़ते थे, उनके पीछे कुछ लोगों को नियुक्त कर दिया तथा मैंने दीवार में जो नाके पड़ते थे, उन पर भी लोगों को लगा दिया। मैंने समूची दीवारों को उनकी तलवारों, भालों और धनुष बाणों के साथ वहाँ लगा दिया। 14 मैंने सारी स्थिति का जायजा लिया और फिर खड़े होकर महत्वपूर्ण परिवारों, हाकिमों तथा दूसरे लोगों से कहा, “हमारे शत्रुओं से डरो मत। हमारे स्वामी को याद रखो। यहोवा महान है और शक्तिशाली है! तुम्हें अपने भाईयों, अपने पुत्रों और अपनी पुत्रियों के लिए यह लड़ाई लड़नी ही है! तुम्हें अपनी पत्नियों और अपने घरों के लिए युद्ध करना ही होगा!”

15 इसके बाद हमारे शत्रुओं के कान में यह भनक पड़ गयी कि हमें उनकी योजनाओं का पता चल चुका है। वे जान गये कि परमेश्वर ने उनकी योजनाओं पर पानी फेर दिया। इसलिए हम सभी नगर परकोटे की दीवार पर काम करने को वापस लौट गये। प्रत्येक व्यक्ति फिर अपने स्थान पर वापस चला गया और अपने हिस्से का काम करने लगा। 16 उस दिन के बाद से मेरे आधे लोग परकोटे पर काम करने लगे और मेरे आधेलोग भालों, ढालों, तीरों और कवचों से सुसज्जित होकर पहरा देते रहे। यहूदा के उन लोगों के पीछे जो नगर परकोटे की दीवार का निर्माण कर रहे थे, सेना के अधिकारी खड़े रहते थे। 17 सामान ढोनेवाले मजदूर एक हाथ से काम करते तो उनके दूसरे हाथ में हथियार रखते थे। 18 हर कारीगर की बगल में, जब वह काम करता हुआ होता, तलवार बंधी रहती थी। लोगों को सावधान करने के लिये बिगुल बजाने वाला व्यक्ति मेरे पास ही रहता। 19 फिर प्रमुख परिवारों, हाकिमों और शेष दूसरे लोगों को सम्बोधित करते हुए मैंने कहा, “यह बहुत बड़ा काम है। हम परकोटे के सहारे—सहारे फैले हुए हैं। हम एक दूसरे से दूर पड़ गये हैं। 20 सो यदि तुम बिगुल की आवाज़ सुनो, तो उस निर्धारित स्थान पर भाग आना। वहीं हम सब इकट्ठे होंगे और हमारे लिये परमेश्वर युद्ध करेगा!”

21 इस प्रकार हम यरूशलेम की उस दीवार पर काम करते रहे और हमारे आधे लोगों ने भाले थामे रखे। हम सुबह की पहली किरण से लेकर रात में तारे छिटकने तक काम किया करते थे।

22 उस अवसर पर लोगों से मैंने यह भी कहा था: “रात के समय हर व्यक्ति और उसका सेवक यरूशलेम के भीतर ही ठहरे ताकि रात के समय में वे पहरेदार रहें और दिन के समय कारीगर।” 23 इस प्रकार हममें से कोई भी कभी अपने कपड़े नहीं उतारता था न मैं, न मेरे साथी, न मेरे लोग और न पहरेदार! हर समय हममें से प्रत्येक व्यक्ति अपने दाहिने हाथ में हथियार तैयार रखा करता था।

नहेमायाह द्वारा गरीबों की सहायता

बहुत से गरीब लोग अपने यहूदी भाइयों के विरूद्ध शिकायत करने लगे थे। उनमें से कुछ कहा करते थे, “हमारे बहुत से बच्चे हैं। यदि हमें खाना खाना है और जीवित रहना है तो हमें थोड़ा अनाज तो मिलना ही चाहिए!”

दूसरे लोगों का कहना है, “इस समय अकाल पड़ रहा है। हमें अपने खेत और घर गिरवी रखने पड़ रहे हैं ताकि हमें थोड़ा अनाज मिल सके।”

कुछ लोग यह भी कह रहे थे, “हमें अपने खेतों और अँगूर के बगीचों पर राजा का कर चुकाना पड़ता है किन्तु हम कर चुका नहीं पाते हैं इसलिए हमें कर चुकाने के वास्ते धन उधार लेना पड़ता है। उन धनवान लोगों की तरफ़ देखो! हम भी वैसे ही अच्छे हैं जैसे वे हमारे पुत्र भी वैसे ही अच्छे हैं जैसे उनके पुत्र। किन्तु हमें अपने पुत्र—पुत्री दासों के रूप में बेचने पड़ रहे हैं। हममें से कुछ को तो दासों के रूप में अपनी पुत्रीयों को बेचना भी पड़ा है! ऐसा कुछ भी तो नहीं है जिसे हम कर सकें! हम अपने खेतों और अँगूर के बगीचों को खो चुके हैं! अब दूसरे लोग उनके मालिक हैं!”

जब मैंने उनकी ये शिकायतें सुनीं तो मुझे बहुत क्रोध आया। मैंने स्वयं को शांत किया और फिर धनी परिवारों और हाकिमों के पास जा पहुँच। मैंने उनसे कहा, “तुम अपने ही लोगों को उस धन पर ब्याज चुकाने के लिये विवश कर रहे हो जिसे तुम उन्हें उधार देते हो! निश्चय ही तुम्हें ऐसा बन्द कर देना चाहिए!” फिर मैंने लोगों की एक सभा बुलाई और फिर मैंने उन लोगों से कहा, “दूसरे देशों में हमारे यहूदी भाइयों को दासों के रूप में बेचा जाता था। उन्हें वापस खरीदने और स्वतन्त्र कराने के लिए हमसे जो बन पड़ा। हमने किया और अब तुम उन्हें फिर दासों के रूप में बेच रहे हो और हमें फिर उन्हें वापस लेना पड़ेगा!”

इस प्रकार वे धनी लोग और वे हाकिम चुप्पी साधे रहे। कहने को उनके पास कुछ नहीं था। सो मैं बोलता चला गया। मैंने कहा, “तुम लोग जो कुछ कर रहे हो, वह उचित नहीं है! तुम यह जानते हो कि तुम्हें परमेश्वर से डरना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए। तुम्हें ऐसे लज्जापूर्ण कार्य नहीं करने चाहिए जैसे दूसरे लोग करते हैं! 10 मेरे लोग, मेरे भाई और स्वयं मैं भी लोगों को धन और अनाज़ उधार पर देते हैं। किन्तु आओ हम उन कर्जों पर ब्याज चुकाने के लिये उन्हें विवश करना बन्द कर दें! 11 इसी समय तुम्हें उन के खेत, अँगूर के बगीचे, जैतून के बाग और उनके घर उन्हें वापस लौटा देने चाहिए और वह ब्याज भी तुम्हें उन्हें लौटा देना चाहिए जो तुमने उनसे वसूल किया है। तुमने उधार पर उन्हें जो धन, जो अनाज़ जो नया दाखमधु और जो तेल दिया है, उस पर एक प्रतिशत ब्याज वसूल किया है!”

12 इस पर धनी लोगों और हाकिमों ने कहा, “हम यह उन्हें लौटा देंगे और उनसे हम कुछ भी अधिक नहीं माँगेंगे। हे नहेमायाह, तू जैसा कहता है, हम वैसा ही करेंगे।”

इसके बाद मैंने याजकों को बुलाया। मैंने धनी लोगों और हाकिमों से यह प्रतिज्ञा करवाई कि जैसा उन्होंने कहा है, वे वैसा ही करेंगे। 13 इसके बाद मैंने अपने कपड़ों की सलवटें फाड़ते हुए कहा, “हर उस व्यक्ति के साथ, जो अपने वचन को नहीं निभायेगा, परमेश्वर तद्नुकूल करेगा। परमेश्वर उन्हें उनके घरों से उखाड़ देगा और उन्होंने जिन भी वस्तुओं के लिये काम किया है वे सभी उनके हाथ से जाती रहेंगी। वह व्यक्ति अपना सब कुछ खो बैठेगा!”

मैंने जब इन बातों का कहना समाप्त किया तो सभी लोग इनसे सहमत हो गये। वे सभी बोले, “आमीन!” और फिर उन्होंने यहोवा की प्रशंसा की और इस प्रकार जैसा उन्होंने वचन दिया था, वैसा ही किया 14 और फिर यहूदा की धरती पर अपने राज्यपाल काल के दौरान न तो मैंने और न मेरे भाईयों ने उस भोजन को ग्रहण किया जो राज्यपाल के लिये न्यायपूर्ण नहीं था। मैंने अपने भोजन को खरीदने के वास्ते कर चुकाने के लिए कभी किसी पर दबाव नहीं डाला। राजा अर्तक्षत्र के शासन काल के बीसवें साल से बत्तीसवें साल तक मैं वहाँ का राज्यपाल रहा। मैं बारह साल तक यहूदा का राज्यपाल रहा। 15 किन्तु मुझ से पहले के राज्यपालों ने लोगों के जीवन को दूभर बना दिया था। वे राज्यपाल लोगों पर लगभग एक पौंड चाँदी चालीस शकेल देने के लिए दबाव डाला करते थे। उन लोगों पर वे खाना और दाखमधु देने के लिये भी दबाव डालते थे। उन राज्यपालों के नीचे के हाकिम भी लोगों पर हुकूमत चलाते थे और जीवन को औऱ अधिक दूभर बनाते रहते थे। किन्तु मैं क्योंकि परमेश्वर का आदर करता था, और उससे डरता था, इसलिए मैंने कभी वैसे काम नहीं किये। 16 नगर परकोटे की दीवार को बनाने में मैंने कड़ी मेहनत की थी। वहाँ दीवार पर काम करने के लिए मेरे सभी लोग आ जुटे थे!

17 मैं, अपने भोजन की चौकी पर नियमित रूप से हाकिमों समेत एक सौ पचास यहूदियों को खाने पर बुलाया करता था। मैं चारों ओर के देशों के लोगों को भी भोजन देता था जो मेरे पास आया करते थे। 18 मेरे साथ मेरी मेज़ पर खाना खाने वाले लोगों के लिये इतना खाना सुनिश्चित किया गया था: एक बैल, छ: तगड़ी भेड़ें और अलग—अलग तरीके के पक्षी। इसके अलावा हर दसों दिन मेरी मेज़ पर हर प्रकार का दाखमधु लाया जाता था। फिर भी मैंने कभी ऐसे भोजन की मांग नहीं की, जो राज्यपाल के लिए अनुमोदित नहीं था। मैंने अपने भोजन का दाम चुकाने के लिये कर चुकाने के वास्ते, उन लोगों पर कभी दबाव नहीं डाला। मैं यह जानता था कि वे लोग जिस काम को कर रहे हैं वह बहुत कठिन है। 19 हे परमेश्वर, उन लोगों के लिये मैंने जो अच्छा किया है, तू उसे याद रख।

अधिक समस्याएँ

इसके बाद सम्बल्लत, तोबियाह, अरब के रहने वाले गेशेम तथा हमारे दूसरे शत्रुओं ने यह सुना कि मैं परकोटे की दीवार का निर्माण करा चुका हूँ। हम उस दीवार में दरवाजे बना चुके थे किन्तु तब तक दरवाजों पर जोड़ियाँ नहीं चढ़ाई गई थीं। सो सम्बल्लत और गेशेम ने मेरे पास यह सन्देश भिजवाया: “नहेमायाह, तुम आकर हमसे मिलो। हम ओनो के मैदान में कैफरीम नाम के कस्बे में मिल सकते हैं।” किन्तु उनकी योजना तो मुझे हानि पहुँचाने की थी।

सो मैंने उनके पास इस उत्तर के साथ सन्देश भेज दिया: “मैं यहाँ महत्वपूर्ण काम में लगा हूँ। सो मैं नीचे तुम्हारे पास नहीं आ सकता। मैं सिर्फ इसलिए काम बन्द नहीं करना चाहूँगा कि तुम्हारे पास आकर तुमसे मिल सकूँ।”

सम्बल्लत और गेमेश ने मेरे पास चार बार वैसे ही सन्देश भेजे और हर बार मैंने भी उन्हें वही उत्तर भिजवा दिया। फिर पाँचवी बार सम्बल्लत ने उसी सन्देश के साथ अपने सहायक को मेरे पास भेजा। उसके हाथ में एक पत्र था जिस पर मुहर नहीं लगी थी। उस पत्र में लिखा था:

“चारों तरफ एक अफवाह फैली हुई है। हर कहीं लोग उसी बात की चर्चा कर रहे हैं और गेमेश का कहना है कि वह सत्य है। लोगों का कहना है कितू और यहूदी, राजा से बगावत की योजना बना रहे हो और इसी लिए तुम यरूशलेम के नगर परकोटे का निर्माण कर रहे हो। लोगों का यह भी कहना है कितू ही यहूदियों का नया राजा बनेगा। और यह अफ़वाह भी है कि तू ने यरूशलेम में अपने विषय में यह घोषणा करने के लिए भविष्यवक्ता भी चुन लिये हैं: ‘यहूदा में एक राजा है!’

“नहेमायाह! अब मैं तुझे चेतावनी देता हूँ। राजा अर्तक्षत्र इस विषय की सुनवाई करेगा सो हमारे पास आ और हमसे मिल कर इस बारे में बातचीत कर।”

सो मैंने सम्बल्लत के पास यह उत्तर भिजवा दिया: “तुम जैसा कह रहे हो वैसा कुछ नहीं हो रहा है। यह सब बातें तुम्हारी अपनी खोपड़ी की उपज हैं।”

हमारे शत्रु बस हमें डराने का जतन कर रहे थे। वे अपने मन में सोच रहे थे, “यहूदी लोग डर जायेंगे और काम को चलता रखने के लिये बहुत निर्बल पड़ जायेंगे और फिर परकोटे की दीवार पूरी नहीं हो पायेगी।”

किन्तु मैंने अपने मन में यह विनती की, “परमेश्वर मुझे मजबूत बना।”

10 मैं एक दिन दलायाह के पुत्र शमायाह के घर गया। दलायाह महेतबेल का पुत्र था। शमायाह को अपने घर में ही रुकना पड़ता था। शमायाह ने कहा, “नहेमायाह आओ हम परमेश्वर के मन्दिर के भीतर मिलें। आओ चलें भीतर हम मन्दिर के और बन्द द्वारों को कर लें आओ, वैसा करें हम क्यों? क्योंकि लोग हैं आ रहे मारने को तुझको। वे आ रहे हैं आज रात मार डालने को तुझको।”

11 किन्तु मैंने शमायाह से कहा, “क्या मेरे जैसे किसी व्यक्ति को भाग जाना चाहिए? तुम तो जानते ही हो कि मेरे जैसे व्यक्ति को अपने प्राण बचाने के लिये मन्दिर में नहीं भाग जाना चाहिए। सो मैं वहाँ नहीं जाऊँगा!”

12 मैं जानता था कि शमायाह को परमेश्वर ने नहीं भेजा है। मैं जानता था कि मेरे विरुद्ध वह इस लिये ऐसी झूठी भविष्यवाणियाँ कर रहा है कि तोबियाह और सम्बल्लत ने उसे वैसा करने के लिए धन दिया है। 13 शमायाह को मुझे तंग करने और डराने के लिये भाड़े पर रखा गया था। वे यह चाहते थे कि डर कर छिपने के लिये मन्दिर में भाग कर मैं पाप करू ताकि मेरे शत्रुओं के पास मुझे लज्जित करने और बदनाम करने का कोई आधार हो।

14 हे परमेश्वर! तोबियाह और सम्बल्लत को याद रख। उन बुरे कामों को याद रख जो उन्होंने किये हैं। उस नबिया नोअद्याह तथा उन नबियों को याद रख जो मुझे भयभीत करने का जतन करते रहे हैं।

परकोटे पूरा हो गया

15 इस प्रकार एलूल[b] नाम के महीने की पच्चीसवीं तारीख को यरूशलेम का परकोटा बनकर तैयार हो गया। परकोटा की दीवार को बनकर पूरा होने में बावन दिन लगे। 16 फिर हमारे सभी शत्रुओं ने सुना कि हमने परकोटे बनाकर तैयार कर लिया है। हमारे आस—पास के सभी देशों ने देखा कि निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इससे उनकी हिम्मत टूट गयी क्योंकि वे जानते थे कि हमने यह कार्य हमारे परमेश्वर की सहायता से पूरा किया है।

17 इसके अतिरिक्त उन दिनों जब वह दीवार बन कर पूरी हो चुकी थी तो यहूदा के धनी लोग तोबियाह को पत्र लिख—लिख कर पत्र भेजने लगे, तोबियाह उनके पत्रों का उत्तर दिया करता। 18 वे इन पत्रों को इसलिए भेजा करते थे कि यहूदा के बहुत से लोगों ने उसके प्रति वफादार बने रहने की कसम उठाई हुई थी। इसका कारण यह था कि वह आरह के पुत्र शकम्याह का दामाद था तथा तोबियाह के पुत्र यहोहानान ने मशुल्लाम की पुत्री से विवाह किया था। मशुल्लाम बेरेक्याह का पुत्र था, 19 तथा अतीतकाल में उन लोगों ने तोबियाह को एक विशेष वचन भी दे रखा था। सो वे लोग मुझसे कहते रहते थे कि तोबियाह कितना अच्छा है और उधर वे, जो काम मैं किया करता था, उनके बारे में तोबियाह को सूचना देते रहते थे। तोबियाह मुझे डराने के लिये पत्र भेजता रहता था।

Footnotes

  1. 2:1 निसान नाम के महिने अर्थात् मार्च—अप्रेल ई.पू. 443
  2. 6:15 एलूल यह समय लगभग 443 ई.र्पू. अगस्त—सितंबर है।