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यरूशलेम परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य नहीं है

21 परमेश्वर कहता है, “यरूशलेम की ओर देखो। यरूशलेम एक ऐसी नगरी थी जो मुझमें विश्वास रखती थी और मेरा अनुसरण करती थी। वह वेश्या की जैसी किस कारण बन गई अब वह मेरा अनुसरण नहीं करती। यरूशलेम को न्याय से परिपूर्ण होना चाहिये। यरूशलेम के निवासियों को, जैसे परमेश्वर चाहता है, वैसे ही जीना चाहिये। किन्तु अब तो वहाँ हत्यारे रहते हैं।”

22 तुम्हारी नेकी चाँदी के समान है। किन्तु अब तुम्हारी चाँदी खोटी हो गयी है। तुम्हारी दाखमधु में पानी मिला दिया गया है। सो अब यह कमजोर पड़ गयी है। 23 तुम्हारे शासक विद्रोही हैं और चोरों के साथी हैं। तुम्हारे सभी शासक घूस लेना चाहते हैं। गलत काम करने के लिए वेघूस का धन ले लेते हैं। तुम्हारे सभी शासक लोगों को ठगने के लिये मेहनताना लेते हैं। तुम्हारे शासक अनाथ बच्चों को सहारा देने का यत्न नहीं करते। तुम्हारे शासक अनाथ बच्चों को सहारा देने का यत्न नहीं करते। तुम्हारे शासक उन स्त्रियों की आवश्यकताओं पर कान नहीं देते जिनके पति मर चुके हैं।

24 इन सब बातों के कारण, स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा इस्राएल का सर्वशक्तिमान कहता है, “हे मेरे बैरियो मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। तुम मुझे अब और अधिक नहीं सता पाओगे। 25 जैसे लोग चाँदी को साफ करने के लिए खार मिले पानी का प्रयोग करते हैं, वैसे ही मैं तुम्हारे सभी खोट दूर करुँगा। सभी निरर्थक वस्तुओं को तुमसे ले लूँगा। 26 जैसे न्यायकर्ता तुम्हारे पास प्रारम्भ में थे अब वैसे ही न्यायकर्ता मैं फिर से वापस लाऊँगा। जैसे सलाहकार बहुत पहले तुम्हारे पास हुआ करते थे, वैसे ही सलाहकार तुम्हारे पास फिर होंगे। तुम तब फिर ‘नेक और विश्वासी नगरी’ कहलाओगी।”

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