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20 मुला मइँ तेरे विरोध मँ कछू कहइ चाहत हउँ; तू उ स्त्री इजेबेल क अपने मध्य रहइ देता अहा, जउन अपने आपको नबीया कहत ह। मुला मोरे सेवकन क व्यभिचार करइ अउर मूर्तियन क आगे चड़ाई भइ चीजन क खाइ बरे सिच्छा देत अहइ। 21 मइँ ओका मनफिरावा क अवसर दिहे अहउँ। मुला उ अपने व्यभिचार स मनफिरावा नाहीं चाहत।

22 “अउर मइँ ओंका रोग चारपाई प डाउब। अउर जे ओकरे साथ व्यभिचार करत अहइँ तउ उ तरह क कस्ट अउर दिक्कत भोगइँ जब तलक अपने काम क पछतावा न कइलेइँ। 23 मइँ महामारी फैलाइके ओकरे लरिकन क मारि डाउब अउर सब कलीसियन क पता चल जाइ कि मइँ उहइ अहउँ जउन सब मनइयन क मन अउर बुद्धि क जानत अहइ। मइँ तोहका सबका तोहरे काम क हिसाब स फल देबइ।

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