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22 इन विषयों पर अपने विश्वास को स्वयं अपने तथा परमेश्वर के मध्य सीमित रखो. धन्य है वह व्यक्ति, जिसकी अन्तरात्मा उसके द्वारा स्वीकृत किए गए विषयों में उसे नहीं धिक्कारती.

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