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“जो लोग मर गये है
    उनकी आत्मायें धरती के नीचे जल में भय से प्रकंपित हैं।
मृत्यु का स्थान परमेश्वर की आँखों के सामने खुला है,
    परमेश्वर के आगे विनाश का स्थान ढका नहीं है।
उत्तर के नभ को परमेश्वर फैलाता है।
    परमेश्वर ने व्योम के रिक्त पर अधर में धरती लटकायी है।

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