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16 दुष्ट जन चाहे चाँदी के ढेर इकट्ठा करे,
    इतने विशाल ढेर जितनी धूल होती है, मिट्टी के ढेरों जैसे वस्त्र हो उसके पास
17 जिन वस्त्रों को दुष्ट जन जुटाता रहा उन वस्त्रों को सज्जन पहनेगा,
    दुष्ट की चाँदी निर्दोषों में बँटेगी।
18 दुष्ट का बनाया हुआ घर अधिक दिनों नहीं टिकता है,
    वह मकड़ी के जाले सा अथवा किसी चौकीदार के छप्पर जैसा अस्थिर होता है।

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