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तब तक मेरे होंठ बुरी बातें नहीं बोलेंगी,
    और मेरी जीभ कभी झूठ नहीं बोलेगी।
मैं कभी नहीं मानूँगा कि तुम लोग सही हो!
    जब तक मैं मरूँगा उस दिन तक कहता रहूँगा कि मैं निर्दोष हूँ!
मैं अपनी धार्मिकता को दृढ़ता से थामें रहूँगा।
    मैं कभी उचित कर्म करना न छोडूँगा।
    मेरी चेतना मुझे तंग नहीं करेगी जब तक मैं जीता हूँ।

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