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मैं कभी नहीं मानूँगा कि तुम लोग सही हो!
    जब तक मैं मरूँगा उस दिन तक कहता रहूँगा कि मैं निर्दोष हूँ!
मैं अपनी धार्मिकता को दृढ़ता से थामें रहूँगा।
    मैं कभी उचित कर्म करना न छोडूँगा।
    मेरी चेतना मुझे तंग नहीं करेगी जब तक मैं जीता हूँ।
मेरे शत्रुओं को दुष्ट जैसा बनने दे,
    और उन्हें दण्डित होने दे जैसे दुष्ट जन दण्डित होते हैं।

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