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मैं अपनी धार्मिकता को दृढ़ता से थामें रहूँगा।
    मैं कभी उचित कर्म करना न छोडूँगा।
    मेरी चेतना मुझे तंग नहीं करेगी जब तक मैं जीता हूँ।
मेरे शत्रुओं को दुष्ट जैसा बनने दे,
    और उन्हें दण्डित होने दे जैसे दुष्ट जन दण्डित होते हैं।
ऐसे उस व्यक्ति के लिये मरते समय कोई आशा नहीं है जो परमेश्वर की परवाह नहीं करता है।
    जब परमेश्वर उसके प्राण लेगा तब तक उसके लिये कोई आशा नहीं है।

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