Add parallel Print Page Options

विवाह की बात सम्मानित रहे तथा विवाह का बिछौना कभी अशुद्ध न होने पाए क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों तथा परस्त्रीगामियों को दण्डित करेंगे. यह ध्यान रहे कि तुम्हारा चरित्र धन के लोभ से मुक्त हो. जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी में सन्तुष्ट रहो क्योंकि स्वयं उन्होंने कहा है:

मैं न तो तुम्हारा त्याग करूँगा
    और न ही कभी तुम्हें छोड़ूँगा.

इसलिए हम निश्चयपूर्वक यह कहते हैं:

प्रभु मेरे सहायक हैं, मैं डरूंगा नहीं.
    मनुष्य मेरा क्या कर लेगा?

Read full chapter