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कुस्रू के राजा होने के प्रथम वर्ष में कुस्रू ने यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये एक आदेश दिया। आदेश यह था:

परमेश्वर का मन्दिर फिर से बनने दो। यह बलि भेंट करने का स्थान होगा। इसकी नींव को बनने दो। मन्दिर साठ हाथ ऊँचा और साठ हाथ चौड़ा होना चाहिए। इसके परकोटे में विशाल पत्थरों की तीन कतारें और विशाल लकड़ी के शहतीरों की एक कतार होनी चाहिए। मन्दिर को बनाने का व्यय राजा के खज़ाने से किया जाना चाहिये। साथ ही साथ, परमेशवर के मन्दिर की सोने और चाँदी की चीज़ें उनके स्थान पर वापस रखी जानी चाहिए। नबूकदनेस्सर ने उन चीज़ों को यरूशलेम के मन्दिर से लिया था और उन्हें बाबेल लाया था। वे परमेश्वर के मन्दिर में वापस रख दिये जाने चाहिये।

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