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किसी की बुराई न करें, झगड़ालू नहीं, कोमल स्वभाव के हों तथा सबके साथ विनम्र रहें.

कभी हम भी निर्बुद्धि, आज्ञा न माननेवाले, गलत, भिन्न-भिन्न प्रकार के सुख-विलास के दास थे; बैर-भाव, जलन और घृणा के पात्र के रूप में एक दूसरे के प्रति घृणा में जी रहे थे. किन्तु जब परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता की कृपा तथा मानवजाति के प्रति उनका प्रेम प्रकट हुआ

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