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कभी हम भी निर्बुद्धि, आज्ञा न माननेवाले, गलत, भिन्न-भिन्न प्रकार के सुख-विलास के दास थे; बैर-भाव, जलन और घृणा के पात्र के रूप में एक दूसरे के प्रति घृणा में जी रहे थे. किन्तु जब परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता की कृपा तथा मानवजाति के प्रति उनका प्रेम प्रकट हुआ तो उन्होंने हमें उद्धार प्रदान किया—उन कामों के आधार पर नहीं जो हमने धार्मिकता में किए हैं परन्तु अपनी ही कृपा के अनुसार नए जन्म के स्नान तथा पवित्रात्मा के नवीकरण की निष्पत्ति में

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