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“अभी मैं उन सींगों के बारे में सोच ही रहा था कि उन सींगों के बीच एक सींग और उग आया। यह सींग बहुत छोटा था। इस छोटे सींग पर आँखें थी, और वे आँखें किसी व्यक्ति की आँखों जैसी थीं। इस छोटे सींग में एक मुख भी था और वह स्वयं की प्रशंसा कर रहा था। इस छोटे सींग ने अन्य सींगों में से तीन सींग उखाड़ फेंके।

चौथे पशु का न्याय

“मेरे देखते ही देखते, उनकी जगह पर सिंहासन रखे गये
    और वह सनातन राजा सिंहासन पर विराज गया।
उसके वस्त्र अति धवल थे, वे वस्त्र बर्फ से श्वेत थे।
    उनके सिर के बाल श्वेत थे, वे ऊन से भी श्वेत थे।
उसका सिंहासन अग्नि का बना था
    और उसके पहिए लपटों से बने थे।
10 सनातन राजा के सामने
    एक आग की नदी बह रही थी।
लाखों करोड़ों लोग उसकी सेवा में थे।
    उसके सामने करोड़ों दास खड़े थे।
यह दृश्य कुछ वैसा ही था
    जैसे दरबार शुरू होने को पुस्तकें खोली गयी हों।

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